बुंदेलखंड का इतिहास: एक व्यापक जानकारी
बुंदेलखंड का ऐतिहासिक पृष्ठ
बुंदेलखंड, भारत के मध्य-प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्यों में स्थित एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है जिसका ऐतिहासिक महत्व अत्यधिक है। हम इस लेख में बुंदेलखंड के इतिहास के महत्वपूर्ण पहलुओं को विस्तार से जानेंगे और यह बताएंगे कि इस क्षेत्र का सबसे महत्वपूर्ण इतिहास क्या है।
प्रागैतिहासिक काल
प्रागैतिहासिक काल में बुंदेलखंड का क्षेत्र अपने सौंदर्य और धर्मिक तात्त्विकता के लिए प्रसिद्ध था। इस क्षेत्र में वेदों के महत्वपूर्ण ग्रंथों के श्रवण और पठन का परंपरागत आदान-प्रदान हुआ।
गुप्त वंश का शासन
बुंदेलखंड का इतिहास गुप्त वंश के शासकों के समय में भी रौशनी दिखाता है। इस समय, इस क्षेत्र में कला और साहित्य के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान किया गया था।
महमूद गजनवी का आगमन
महमूद गजनवी, भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण व्यक्ति माने जाते हैं, और उन्होंने बुंदेलखंड क्षेत्र में अपना आदिक्रियाओं की शुरुआत की थी। उन्होंने कई धार्मिक स्थलों को नष्ट किया और इस क्षेत्र को अपने शासनाकाल के दौरान वश में किया।
चंदेल वंश का उदय
चंदेल वंश ने बुंदेलखंड क्षेत्र में एक अद्वितीय सांस्कृतिक और राजनैतिक धारा का निर्माण किया। इस वंश के शासकों ने खजुराहो और कालीन्डी में अनूठे मंदिर निर्माण किए जो आज भी विश्व धर्मिक धरोहर के रूप में महत्वपूर्ण हैं।
मुघल साम्राज्य का अधिकार
मुघल साम्राज्य के समय में बुंदेलखंड क्षेत्र एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक इकाई था। इस समय, इस क्षेत्र में विभिन्न धर्मों का अद्वितीय संगम देखा जा सकता है और सूफी संतों ने यहाँ अपना समय व्यतीत किया।
बुन्देलखण्ड मध्य भारत का एक प्राचीन क्षेत्र है।इसका प्राचीन नाम जेजाकभुक्ति [जिझौतीखंड या जिझौतिया प्रदेश]है।[उद्धरण चाहिए] इसका विस्तार उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में है। बुंदेली इस क्षेत्र की मुख्य बोली है। भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधताओं के बावजूद बुंदेलखंड में जो एकता और समरसता है, उसके कारण यह क्षेत्र अपने आप में सबसे अनूठा बन पड़ता है। बुंदेलखंड की अपनी अलग ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत है। बुंदेली माटी में जन्मी अनेक विभूतियों ने न केवल अपना बल्कि इस अंचल का नाम खूब रोशन किया और इतिहास में अमर हो गए। महान खंगार शासक महाराजा खेत सिंह खेतसिंह खंगार, महान चंदेल|
शासक बिधाधर चन्देल, आल्हा-ऊदल, वीरभद्र बुन्देलासोहनपाल बुन्देला, रुद्रप्रताप देव बुन्देलारानी कुंवरीगनेशीबाई बुन्देला वीरसिंह जूदेव बुन्देला, वीर हरदौल बुन्देलारानीसारंधा बुन्देला महाराजा छत्रसाल बुंदेला, मधुकर शाह बुन्देला राजा भोज, ईसुरी, राजा खेतसिंह खंगार वंश के संस्थापक, कवि पद्माकर, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, मर्दनसिंह जू देव बुन्देला डॉ॰ हरिसिंह गौर, दद्दा मैथिलीशरण गुप्त, मेजर ध्यान चन्द्र, गोस्वामी तुलसी दास, दद्दा माधव प्रसाद तिवारी महोबा आदि अनेक महान विभूतियाँ इसी क्षेत्र से संबद्ध रखती है। ल तारण पंथ का जन्म स्थान है। बुन्देलखण्ड में शहर पन्ना,खजुराहो, झांसी और सागर विश्वप्रसिद्ध हैं।